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छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश को सौंपी तलवार

साढ़े तीन सौ वर्ष पुरानी है यह अनूठी परंपरा
अन्तर्राष्ट्रीय शरद पूर्णिमा महोत्सव का हुआ आगाज
पन्ना. 

महामति प्राणनाथ जी ने बुन्देलखण्ड की रक्षा के लिए महराजा छत्रसाल को वरदानी तलवार सौंपी थी तथा बीड़ा उठाकर संकल्प करवाया था जिससे महाराजा छत्रसाल पूरे बुन्देलखण्ड को जीत सके थे। पन्ना में लगभग 351 वर्षों से लगातार यह परम्परा कायम है। विजयादशमी के दिन शायं 6 बजे से 8 बजे के बीच श्री प्रांणनाथ जी मंदिर के पुजारी महाराज छत्रसाल के वंशजों का तिलक कर बीड़ा एवं तलवार देकर उस रस्म को निभाते हैं जो कभी महामति ने छत्रसाल को दिया था. 


छत्रसाल के वंशज पन्ना नरेश को सौंपी तलवार
इस पवित्र अवसर पर यहां के अति प्राचीन स्थान श्री खेजरा मंदिर में इस भव्य उत्सव को देखने देश-विदेश के हजारों सुन्दरसाथ जुटे थे कोई नेपाल से आया था तो कोई सिक्किम से कोई गुजरात से आया था तो कोई महाराष्ट्र से। पूरे महोत्सव में देश की विविधता झलक रही थी महोत्सव के बीच जब महाराज छत्रसाल के वंशज पन्ना महाराज राघवेन्द्र सिंह जू देव साथ में परिवार के वरिष्ठ सदस्य लोकेन्द्र सिंह जू देव पधारे तो सभाभवन प्राणनाथ जी की जय एवं बुन्देलखण्ड केसरी महाराजा छत्रसाल की जयकारों से गूंज उठा. इस विराट परम्परागत महोत्सव में बोलते हुए पं. रूपराज जी ने कहा कि आज से लगभग 351 वर्ष पूर्व बुन्देलखण्ड क्षेत्र सहित पूरे भारतवर्ष में संकट की घड़ी मडऱा रही थी ऐसे में महाराज छत्रसाल जी ने महामति प्राणनाथ जी की कृपा से इसी तपोभूमि से बीड़ा उठाया एवं श्री जी का आर्शीवाद लेकर उनके द्वारा दी गई दिव्य तलवार जिससे उन्होंने कभी पराजय का मुंह नहीं देखा और लगातार 52 लड़ाइयां जीतीं। इसी क्रम में पं. खेमराज जी ने इस स्थान की विशेषता तथा अखंड मुक्तिदाता निष्कलंक बुद्ध अवतार प्राणनाथ जी की महिमा सुनाते हुए कहा कि इसी स्थान से नरबीर केसरी महाराजा छत्रसाल साकुण्डल हुये थे और पूरे देश में एकता, सामाजिक समरसता का वह भाव जो उन्हें महामति प्राणनाथ जी ने दिया था उसे विस्तारित किया था। आपने कहा कि यह महामति का आर्शीवाद ही था कि छत्रसाल छत्ता हो गए और उनके तेज से सारे सुल्तान घबड़ाने लगे। 

पन्ना नरेश लोकेन्द्र सिंह सुन्दरसाथ को सम्बोधित करते हुए
 महोत्सव में बोलते हुए महाराजा लोकेन्द्र सिंह जू देव ने अपने पूर्वजों को याद करते हुए कहा कि वह ऐ तलवार सभी सुन्दरसाथ के संग धारण कर रहे हैं। उन्होने अपने उद्बोधन में बुन्देलखण्ड राज्य की अक्षुण्ण सीमाएं इत यमुना उतनर्वदा इत चंबल उत टोंस का वर्णन करते हुए कहा कि यह इसी तलवार और महामति का आर्शीवाद था जिससे हमारे पूर्वज पूरे बुन्देलखण्ड को एक कर सके थे। उन्होंने कहा कि इस पवित्र धरा से आर्शीवाद एवं दिव्य तलवार मिल जाने के बाद कभी भी पराजय का मुंह नहीं देखा और सतत ही बुन्देलखण्ड की सीमा बढ़ती रही हम सुन्दर साथ के हमेशा साथ हैं सुन्दरसाथ हमारे ही अभिन्न अंग हैं. जैसे ही श्री प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के पुजारी जी ने पन्ना महाराजा राघवेन्द्र सिंह जू देव को तिलक कर बीड़ा देते हुए तलवार दिया महोत्सव में उपस्थित सैकड़ों लोग महामति प्राणनाथ की जय, महाराज छत्रसाल की जय तथा सभी सुन्दरसाथ की जय के उद्घोष से भर गया। 
इस महोत्सव में सुनील धामी तथा सिक्किम से आए मस्तबाबा ने भी सभी सुन्दर साथ को सम्बोधित किया. महोत्सव का संचालन कृष्णकुमार शर्मा ने किया। इस महोत्सव में श्री प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट के न्यासीगण तथा पदाधिकारी जिनमें उदय प्रकाश त्रिपाठी , पं. रूपराज शर्मा, सचिव तथा राजेन्द्र कुमार धामी महाप्रबंधक मनीष शर्मा सहित हजारों की संख्या में देश के कोने-कोने से आए सुन्दरसाथ उपस्थित रहे.

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