भारत के पास ज्ञान और विज्ञान की अनन्त सम्भावनायें हैं। भारत के लोग विश्व में अपनी योग्यता के बल पर विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में अपनी सफलता के परचम लहरा रहे हैं परन्तु हम अपने देश के विकास के लिए इस ज्ञान और विज्ञान का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। यह विचार केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डॉ राम शंकर कठेरिया ने व्यक्त किये।
केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री डॉ. कठेरिया ने जनपद के प्रमुख साहित्यकारों को किया सम्मानित
डॉ कठेरिया स्वामी शुकदेवानन्द स्रातकोत्तर महाविद्यालय में यूजीसी द्वारा निर्मित छात्रावास के लोकार्पण और कला संकाय के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित ’’वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी की स्थिति’’ विषयक विचार गोष्ठी व सम्मान समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। अध्यक्षता करते हुए पूर्व गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती ने कहा कि हिन्दुस्तान और हिन्दी को विश्व लम्बे समय तक उपेक्षित नहीं कर सकता, जिस संगठित शक्ति की आवश्यकता भारत को है उसका समय अब आ गया है। भारत सारे विश्व के लिए सामाजिक समरसता का उदाहरण बनेगा और भारतीय चेतना सम्पूर्ण विश्व को शान्ति और स्थिरता प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि जब-जब भारतीय समाज और संस्कृति पर दूसरी संस्कृतियों के हमले हुए हैं तब-तब विश्व में अशान्ति फैली है। आदिवासी क्षेत्रों में भोले-भाले आदिवासियों को कुछ चालाक पहले बाइबिल पकड़ाते हैं और फिर बन्दूक। हमें इन्हें पुन: भारतीय जीवन मूल्यों, प्रेम, दया और करूणा की सीख देनी होगी ताकि विश्व में भारत का मान और स्थान पुन: सर्वोच्च हो सके।
