ग्वालियर। न्यायपालिका की दुर्दशा और उसकी साख बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाले चर्चा में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने कहा कि हाईकोर्ट में होने वाले जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता आनी चाहिए। सबसे पहले कॉलेजियम जैसी प्रक्रिया खत्म करनी होगी और इसके बाद एक स्वस्थ परंपरा की शुरुआत करनी होगी। इसमें योग्यता और मेरिट के आधार पर जजों का चयन होना चाहिए। जस्टिस पांडेय शनिवार को आईटीएम यूनिवर्सिटी के सभागार में न्यायपालिका में बुनियादी सुधार विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं पहले भारत का नागरिक हूं, उसके बाद जज बना। देश का अन्न खा रहा हूं इसलिए किसी भी तरह का अन्याय बर्दाश्त नहीं कर सकता। जो स्वयं स्वतंत्रता चाहते हैं, पहले उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लानी होगी। कोर्ट में जो भाई-भतीजावाद या जातिवाद चलता है, उसे पूरी तरह खत्म करना होगा, यही मेरा प्रयास है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में जज की नियुक्ति जज नहीं करते हैं। भारत में न्यायपालिका में ऐसी चिंताजनक चीजें हो रही हैं, जिनके बारे में सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी पीड़ा को मैंने पत्र में लिखा है। यदि कुछ गलत लिखा है तो प्रोसीक्यूशन कर दें। मेरा कोई निजी इंट्रेस्ट नहीं है। मैं तनाव में था, उलझन में था। मैंने पहले चीफ जस्टिस को लिखा, फिर प्रधानमंत्री को लिखा।
उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी देश में जज की नियुक्ति जज नहीं करते हैं। भारत में न्यायपालिका में ऐसी चिंताजनक चीजें हो रही हैं, जिनके बारे में सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी पीड़ा को मैंने पत्र में लिखा है। यदि कुछ गलत लिखा है तो प्रोसीक्यूशन कर दें। मेरा कोई निजी इंट्रेस्ट नहीं है। मैं तनाव में था, उलझन में था। मैंने पहले चीफ जस्टिस को लिखा, फिर प्रधानमंत्री को लिखा।
