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करोड़ों रुपए की ठगी :गरीबों के खाते, करोड़ों का ट्रांजेक्शन… गुजरात होते हुए इंदौर से इंडोनेशिया पहुंचे अरबों रुपए

इंदौर: धोखाधड़ी के मामले की जांच कर रही इंदौर क्राइम ब्रांच की टीम को एक बड़ी जानकारी हाथ लगी है। कुछ लोगों से पैसे पर अच्छा ब्याज देने के नाम पर ठगी हुई थी। पीड़ित लोगों की शिकायत पर जांच शुरू हुई तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। ठगी करने वाला गिरोह गरीब लोगों से अकाउंट लेते थे। इन अकाउंट में जमा होने वाली राशि पर उन्हें 30 फीसदी कमीशन देते थे। उन खातों में जमा रुपए को गुजरात पहुंचाया जाता था, वहां से इसे इंडोनेशिया भेजा जाता था। इंडोनेशिया में बैठे गिरोह के लोगों के पास इंदौर से करोड़ों रुपए पहुंच गए हैं। पुलिस अब मामले की जांच विस्तार से कर रही है।

इन ठगों ने ठगी के लिए इंदौर के महालक्ष्मी नगर में अपना बेस बना रखा था। ये लोग द वाइन ग्रुप के नाम से एक फर्म चलाते थे। शिकायत पर पुलिस ने मानव, आदित्य मालवीय और मुकेश बोड़ोतर को गिरफ्तार किया था। इन लोगों ने पूछताछ में बताया कि गिरोह का संचालन एक होटल से हो रहा था। गिरफ्तार लोगों का काम था कि गरीब, मजदूर और जरूरतमंदों का बैंक अकाउंट खोलवाए। इनके नाम पर अकाउंट खोलवाकर जालसाजों को भेजते थे। इन्हीं खातों का इस्तेमाल ट्रांजेक्शन के लिए किया जाता था।

वहीं, गिरफ्तार लोगों को खाते खुलवाने के लिए कोई वेतन नहीं मिलता था। इनकी तरफ से जो खाते खुलवाए जाते और उसमें जो ट्रांजेक्शन होता था, उस पर 30 फीसदी कमीशन मिलता था। इनके खुलवाए खाते में हर दिन करोड़ रुपए जमा होते थे।

जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में इनलोगों ने एक अनाज फर्म के नाम पर अकाउंट खुलवाया था। इस अकाउंट से 800 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। जानकारी के मुताबिक यह राशि गुजरात होते हुए इंडोनेशिया पहुंच गई। पुलिस ने अभी तक 20 खातों की जांच की है। आगे चलकर यह राशि बढ़ भी सकती है।

दरअसल, ठगी का यह कारोबार में द वाइन ग्रुप के नाम पर चलता था। इसका संचालक होटल में बिना प्रूफ के रुकता था। यहां एजेंट को लालच देकर कमीशन पर काम करवाता था। वहीं, वह ठगी के शिकार लोगों से कहता था कि उनकी कंपनी द वाइन ग्रुप विदेशों में शराबी की सप्लाई करती है। आप निवेश करें हम आपकी राशि कुछ दिनों में डबल कर देंगे। लोगों ने जब करोड़ों रुपए इनके झांसे में आकर जमा कर दिए तो साइट और व्हाट्सएप ग्रुप को बंद कर दिया। इसके बाद लोगों को ठगी का एहसास हुआ।

यही नहीं, अलग-अलग बैंकों के एजेंट से ये लोग संपर्क में रहते थे। उनसे फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन करवाकर अकाउंट खुलवाते थे। उस करंट अकाउंट में करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन करते थे। बाद में यह राशि इंडोनेशिया भेजी जाती थी।

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