भोपाल। तुलसी नगर भोपाल स्थित शासकीय नवीन कन्या हायर सेकेंड्री स्कूल में सहायक शिक्षिका श्रीमती सुधा पाण्डेय को उनके स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के अवसर पर , विद्यार्थियों एवम स्टाफ द्वारा भावभीनी बिदाई दी गई, इस अवसर पर प्राचार्य श्रीमती वंदना शुक्ला द्वारा श्रीमती सुधा पाण्डेय की कार्यशैली , और कार्य क्षमता की मुक्त कंठ से तारीफ करते हुए व्यक्त किया गया कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपनी ड्यूटी के प्रति निष्ठावान, ईमानदार और समय के पाबंद हों, गलती न करने की आदत डालें और यह गुण उन्होंने सुधा पाण्डेय मैडम में विशेष रूप से पाया तथा उनकी कार्यक्षमता को देखते हुए ही सहायक शिक्षक होने के बावजूद हायर सेकेंड्री वर्ग में उन्हें दसवीं का क्लास टीचर बनाया गया।
प्राचार्या द्वारा सुधा मैडम से अनुरोध किया गया कि यद्यपि वो स्वेच्छा से रिटायर हो रही हैं तथापि वो दसवीं क्लास के बच्चों से और स्कूल से इस सेशन के अंत तक अपना नाता बनाए रखें ताकी उनके स्टूडेंट्स के बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट अच्छा आए, कार्यक्रम में अनेक शिक्षिकाओं द्वारा प्रसंशा गीत और विदाई गीतों का भी भावपूर्ण मंचन किया गया , इन्ही में से एक शिक्षिका श्रीमती ज्योति मालवीय द्वारा प्रस्तुत गीत की पंक्ति " ना जाने क्यों लगता है कि वो फिर से लौट आएंगी" ने अपने आप में सब कुछ कह दिया
इस अवसर पर रिटायर्ड वाइस प्रिडिपल श्रीमती साधना मिश्रा के अतिरिक्त शिक्षिक गण श्रीमती आराधना तिवारी, रक्षा चौरे, कमलेश पंवार, प्रेरणा बर्डे , मधु बाजपाई, साधना राय, उर्मिला प्रजापति, ममता खरे, एम एम रजक, श्री डीडी पंवार, पियूष भटनागर , रजत , एवम बड़ी संख्या में अन्य शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं ।
इस अवसर पर दसवीं क्लास की छात्राओं द्वारा केक काटा गया और मार्गदर्शन देते रहने के लिए हफ्ते में कम से कम दो बार आने की प्रार्थना के साथ अपनी क्लास टीचर सुधा मैडम को अश्रुपूरित बिदाई दी गई ।
कार्यक्रम के अंत में सुधा मैडम ने स्कूल , लेकचरार और साथी शिक्षक गण के सहयोग और स्नेह के प्रति आभार व्यक्त किया , विदाई के अवसर पर सहायक शिक्षक का दर्द भी उभर आया जब उन्होंने यह कहा कि 33 साल से अधिक के सेवाकाल में एक भी प्रमोशन नही मिला लेकिन मै आप सबके लिए कामना करती हूं कि आपको प्रमोशन मिल जाए और ऐसा होने पर मैं ऐसा महसूस करूंगी मानो आपके साथ साथ मुझे भी प्रमोशन मिल गया है ।
इस शाला से जुड़ी शैशव कालीन स्मृति का जिक्र करते हुए कहा गया कि आज मुझे वह दिन याद आ रहा है जब मैं 55 साल पहले वर्ष 1967 में पहली बार इस स्कूल में अक्षर ज्ञान प्राप्ति हेतु पहली कक्षा में प्रवेश लेने अपने पापा के साथ आई थी, और इसी स्कूल में पढ़ाने का अवसर मिला, तथा इसी स्कूल से रिटायर हो रही हूं मानो ""उड़े जहाज का पंछी पुनि जहाज पर आए""।
आज 33 साल से अधिक सेवा के पश्चात अपने इतने अच्छी शिक्षक गण एवम प्यारे विद्यार्थियों से विदा लेते हुए मेरा भी मन भर आ रहा है, आप सबके द्वारा दिए गए साथ, सहयोग एवम अपनापन की में आभारी हूं, प्रिंसिपल मैडम की अपेक्षा अनुसार मै सेवानिवृत्त होने के बाद भी यथा समय यहां आती रहने का प्रयास करूंगी।

