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फिलहाल तो बिकने से बच गया है काका का आर्शीवाद..!

जमीर सिद्दीकी, मुंबई.

भारतीय सिने जगत के पहले सुपरस्टार स्वर्गीय राजेश खन्ना के कार्टर रोड, मुंबई स्थित बंगले के बिकने की खबरों के बीच खन्ना परिवार ने इसे कोरी अफवाह करार दिया है। जाहिर है इससे काका के चाहने वालों ने राहत की सांस ली है। दूसरी ओर, काका के जीवन के अंतिम काल में उनकी प्रेमिका रही अनीता आडवाणी ने काका की इच्छा के अनुसार बंगले को संग्रहालय बनाने के लिए कानूनी लड़ाई छेड़ रखी है। काका ने अपनी मौत से पहले के आखिरी दो साल इसी बंगले में बिताए थे। कहा तो यह भी जा रहा है कि भुतहा हो जाने की अफवाहों के चलते अब खन्ना परिवार इस बंगले से दूरी बना चुका है। 


बिकने से बच गया है काका का आर्शीवाद
बिकने से बच गया काका का आर्शीवाद
गौरतलब होगा कि 603 वर्ग मीटर पर बना वरदान आशीर्वाद नाम का यह बंगला 90 करोड़ के बेसिक अमाउंट पर बेचने की खबरें में मीडिया में आने के साथ ही सवाल खडे हो गए थे। क्योंकि, बंगले के आस पास की जमीन का रेट करोड़ों रुपए वर्ग मीटर में है, जिससे माना जा रहा था कि कई सौ करोड़ में सौदा करके सिर्फ 95 करोड दर्शाया जा रहा हो। 
सूत्रो की माने तो बंगले को मुंबई के ही इन्वेस्टर शशि शेट्टी ने खरीदा है, जिसकी शशि ने पुष्टि नहीं की है और खन्ना परिवार भी इस खबर को गलत करार दे रहा है। सूत्र बताते हैं कि इस बंगले की कीमत काका के बाकी बंगलों के मुकाबले कम लगी है, क्योंकि इसका प्लाट साइज छोटा है।

डिंपल वरदान से वरदान आर्शीवाद
यह बंगला अपने समय के जुबली स्टार राजेंद्र कुमार का था, जिसको काका ने डिम्पल कपाड़िया से शादी करने से पहले खरीदा था। इस बंगले का नाम डिम्पल था, जो राजेंद्र कुमार के लिए अशुभ साबित हुआ था। यहां आने के बाद कुमार की फिल्में पिटने लगी थीं। दूसरी ओर राजेश खन्ना ने इसका नाम बदलकर आशीर्वाद रखा और यहां आने के बाद लगातार 15 हिट फिल्में दीं। यह बंगला उनके लिए लकी साबित हो गया।

अनीता आडवाणी की चेतावनी
काका की संपत्ति और बंगले पर विवाद 18 जुलाई 2012 को उनकी मौत के साथ ही शुरु हो गया था। तब 8 साल तक राजेश खन्ना के साथ रहीं अनीता आडवाणी ने उनकी मौत से ठीक एक दिन पहले खुद को आशीर्वाद से बाहर निकाले जाने से रोकने के लिए खन्ना परिवार को कानूनी नोटिस तक भेज दिया था। हालांकि बाद में कोर्ट में बाहर मामला सेटल हो गया था और अभी जैसे ही बंगले के बिकने की खबरें आर्इं तो बिक्री रोकने और काका की इच्छा के अनुसार बंगले को संग्रहालय बनाने की मांग को लेकर कानूनी नोटिस भेजने की चेतावनी दे दी है। उनका कहना है कि वे इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी। उनके अनुसार, जब तक लिटिगेशन की प्रक्रिया चल रही है, तब तक बंगले को नहीं बेचा जा सकता।

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