बेगमगंज। आखिर किस्से कहानियों और फिल्मों की बात सही साबित हो गई की रतक्रिया में लिप्त नागों को नहीं छेड़ना चाहिए, आखिरकार नागिन की मौत पर नाग द्वारा लिए गए बदले से पीड़ित किसान ने तीसरे दिन भोपाल के निजी अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। मामलें में नाग और नागिन की भी दर्दनाक मौत पहले ही हो गई थी।
महुआ खेड़ा गांव में 20 नवंबर को उक्त घटना घटित हुई थी जब ग्राम पटेल किसान अनिल शर्मा अपने ट्रैक्टर से बखरनी के लिए बाड़े की सफाई करवा रहे थे । ट्रेक्टर उनका ड्राइवर नीलेश लोधी चला रहा था । सफाई के दौरान मिलन क्रिया में रत नाग नागिन का जोड़ा ट्रैक्टर के टायर की चपेट में आ गया था जिसमें ट्रैक्टर के पहिए में दबने से नागिन की मौत हो जाने के उपरांत सांप वहीं बैठा रहा तब लंबा हसीया जिसे धारीया भी बोलते हैं उससे अनिल शर्मा द्वारा नाग पर दो हमले किए जिससे नाग दो टुकड़े हो गया । बावजूद कटे हुए नाग ने उचट कर अनिल शर्मा के हाथ में काट लिया था। किसान को ड्राइवर ने ऐसा करने के लिए मना भी किया था लेकिन वे नहीं माने कहते हैं कि विनाश काले विपरीत बुद्धि । नाग के डसने के बाद ड्राइवर तत्काल अनिल शर्मा को सिविल अस्पताल बेगमगंज लेकर पहुंचा था प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर प्रतीक शर्मा द्वारा आवश्यक उपचार के बाद सागर रेफर कर दिया था। सागर मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान नाग का विष निकालने के लिए दिल के पास और हाथ में कट लगाकर जहरीला रक्त निकालने का डाक्टरों ने काफी प्रयास किया था। जिससे पीड़ित को लाभ भी मिला था। लेकिन सुनने में आया है कि परिजन झाड़ा फूकी के चक्कर में भी पड़े रहे। इस दौरान हालत बिगड़ने पर सागर से भोपाल रेफर किया गया जहां गुरुवार की रात्रि में सर्पदंश पीड़ित अनिल शर्मा ने दम तोड़ दिया।
घटना वाले दिन से ही गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म था जैसे ही है जानकारी पहुंची कि अनिल शर्मा की मौत हो गई है तो गांव में दहशत का माहौल पैदा हो गया और लोग यह जानते हुए भी दोनों सर्प की मौत हो चुकी है खेतों पर जाने में कतरा रहे हैं। संबंधित खेत पर तो कोई भी जाने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है। ट्रेक्टर मय बखर लगा अभी भी उसी स्थिति में वहीं पर खड़ा हुआ है। हर किसी की जुबान पर यही बात है कि आखिर नाग ने मरते मरते बदला ले लिया। जहां नागिन की ट्रैक्टर के पहिए में दबने के कारण मौत हो गई थी, वही नाग को अनिल शर्मा द्वारा धारीए से दो टुकड़े करने के बाद डसने के उपरांत उसकी भी मौत हो गई थी। ग्रामीणों के समक्ष किस्से कहानियों मैं सुनने और फिल्मों में दिखाई जाने वाली घटना सजीव हो जाने से ग्रामीण विशेषकर महिलाएं और बच्चे डरे हुए हैं। गुरुवार को अनिल शर्मा का अंतिम संस्कार गांव पर ही किया गया है।