विजय यादव , मुंबई

पार्क के एक कोने में पड़े घटिया दर्जे के इन पत्थरों को देखकर लखनऊ में मायावती द्वारा बनवाये गए अम्बेडकर पार्क के वह लाल जयपुरी पत्थर भी शर्मा जाय , जिसे खरीदने के लिए मायावती ने कई सौ करोड़ रुपये खर्च कर दी थीं. मुंबई के फुटपाथ पर लगाये जाने वाले इस पत्थर ने मायावती के लाल पत्थरों के मूल्य को भी मात दे दी है . संभव है कि, बहन जी के लिए यह खबर जहाँ राहत भरी होगी , वहीँ उनके विरोधियों को चुप कराने का भी काम करे,जो अब तक इस दलित मुखिया की महँगी खरीददारी पर सवाल उठाते रहे है. मायावती करोडो खर्च कर डा.भीमराव अम्बेडकर के नाम का कम से कम शिलालेख तो लगा दिया था .यहाँ तो करोडो रुपयों के खर्च हो जाने के बाद भी एक शहीद का नाम तक्थी के सहारे दीवार से लटक रहा है. भ्रष्टाचार के इस खेल में तब हद हो गई जब , १८ करोड़ खर्च करने के बाद भी पार्क में हेमंत करकरे के स्मारक पर उनका नाम एक प्लास्टिक के सीट पर लीख कर चिपका दिया गया , जो अपनी बेबसी पर रो भी नहीं सकता. खबर लिखे जाने तक इस तख्ती का भी उखाड़ना शुरू हो गया था. आज जब आप इस खबर को पढ़ रहे हो तो संभव है कि, तब तक वह तख्ती भी नहीं बची हो.
पार्क की जानकारी निकालने वाले पृथ्वी मस्के ( आरटीआई एक्टिविस्ट ) का साफ-साफ कहना है कि, मुंबई मनपा में बैठी भाजपा - शिवसेना ने सीधे तौर पर शहीदों के नाम पर भ्रष्टाचार किया है. अब इन्हें इन शहीदों का नाम लेने तक का हक़ नहीं रहा. शिवसेना - भाजपा दोनों की अंगुलियाँ इस भ्रष्टाचार से गन्दी हो चुकी है. हालाँकि इस मामले में शिवसेना-भाजपा सहित मनपा की ओर से भी कोई अधिकारी कुछ कहने के लिए तैयार नहीं है.
२६/११ हमले के शहीद के नाम पर मुंबई में कोई यह इकलौता पार्क नहीं है, पुरे शहर भर में ऐसे दर्जनों पार्क और स्मारक मिल जायेंगे , जिन्हें मनपा की तिजोरी से बनाया गया है. यही बगल में कुछ ही मिनटों की दुरी पर शहीद विजय सालसकर और अशोक कामटे के नाम पर भी पार्क का निर्माण कराया गया है. अगर इनकी भी फाइले खोली जायं तो कहानी कुछ अलग नहीं होगी.