बेगमगंज। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 6 साल से 14 साल तक के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार का मकसद है लेकिन नए ऐप से जो प्रोग्राम कुछ इस तरह से डाला गया है उसमें त्रुटि होने के कारण स्कूल क्षेत्र के आसपास के वार्ड प्रदर्शित नहीं करने के कारण पात्र लोग शिक्षा के अधिकार अधिनियम का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं ।और एक स्कूल से दूसरे स्कूल के चक्कर लगा लगा कर परेशान हो रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी ब्लॉक स्तर से लेकर संभाग स्तर तक ना हो हर जगह से प्रोग्रामिंग को लेकर आवाजे उठ रही हैं। नए ऐप से ऑनलाइन जिओ टेकिंग जो की गई है उस में जीपीएस सिस्टम के तहत जो पहले से स्थान दर्ज है उसके आसपास तो पड़ोस दर्शा रहा है लेकिन वार्ड प्रदर्शित नहीं करने से लोग परेशान हो रहे हैं।
पालक महेंद्र सिंह ने बताया कि ऑनलाइन जियो टैगिंग में स्कूल यदी 18 नंबर वार्ड में है और स्कूल के पड़ोस में लगा हुआ मोहल्ला वार्ड 1 में आ रहा है तो पोर्टल पर वार्ड शो नहीं कर रहा हैं जिसके कारण पात्र बच्चों के एडमिशन नहीं हो पा रहे हैं ।
शासन की मंशा के मुताबिक आरटीई के माध्यम से निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर गरीब नागरिकों के बच्चों का मुफ्त एडमिशन होता है और बच्चे की शिक्षा का खर्च सरकार द्वारा उठाया जाता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है।
आरटीई अधिनियम सभी निजी स्कूलों के लिए सामाजिक रूप से वंचित और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए अपनी 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का आदेश देता है। इस कदम का उद्देश्य सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना और अधिक न्यायपूर्ण और समान देश का मार्ग प्रशस्त करना है। लेकिन नए ऐप के जरिए जो जीपीएस सिस्टम पर प्रोग्राम डाला गया है वह लोगों को परेशानी पैदा कर रहा है पालक परेशान हो ही रहे हैं स्कूल संचालक उन्हें संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं लोग अपनी शिकायत देकर बीआरसी भी पहुंच रहे हैं लेकिन उसका समाधान नहीं किया जा रहा है क्योंकि बीआरसी के हाथ में भी कुछ नहीं है प्रदेश स्तर पर जो गलती की गई उसका खामियाजा पूरे प्रदेश के निजी स्कूल संचालकों के क्षेत्र में पड़ने वाले गरीब बच्चों के पालकों को भुगतना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग के कर्णधार सुधार की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं जहां एक और चुनावी साल चल रहा है और सरकार की मंशा है कि लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ पूरी तरह से मिले जिसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जनसहयोग मित्रों की भर्ती भी की है बे गाव-गांव पहुंचकर लोगों को शासन की योजनाओं से अवगत करा रहे हैं दूसरी ओर शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए लोगों के लिए पापड़ बेलना पड़ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि शिक्षा विभाग में प्रदेश स्तर के अधिकारी जानबूझकर लोगों को परेशानी पैदा कर रहे हैं ताकि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने में अड़चनें पैदा हो।
इस संबंध में स्कूल संचालक सरस जैन से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि इस बार ही ऐसा हो रहा है कि पड़ोस के मोहल्ला यदि किसी अन्य वार्ड में है तो उसे वह प्रदर्शित नहीं कर रहा।
इस संबंध में बीआरसी आलोक राजपूत का कहना है कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है पोर्टल पर जो त्रुटी हुई है उसके संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है यदि वह प्रदेश स्तर से सुधार करवा दें तब ही पोर्टल पर पड़ोस के मोहल्ले का वार्ड प्रदर्शित होगा या फिर साइट ओपन कर दें तो हम स्थानीय स्तर पर उसमें सुधार कर सकते हैं।